Sunday, February 6, 2011

अगर मैं मर गई तो


अगर मैं मर गई तो
कौन देगा मुझे आख़िरी सलाम
कौन उतारेगा बोझ मेरे सर से 

कौन करेगा मेरी आंखें बंद 

अगर मैं मर गई तो 
कौन पढ़ेगा फातिहा मेरे कान में
कौन रखेगा तकिए पर मेरा सर 

अगर मैं मर गई तो 
कौन सांत्वना देगा मेरी मां को
और फिर आंसू बहाएगा चुपचाप 

और अगर
मर गई मैं झट से तो 
कौन जुदा करेगा मेरे दिल को 
तुम्हारे दिल से 

-Translation of one of the poems by Syrian poet Lina Tibi

2 comments:

  1. बेहतरीन अभिव्यक्ति !

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  2. शुक्रिया दिव्या जी !

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